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खोला नानी का संदूक
रंग-बिरंगे ऊन के गोले की तरह
सिमटी स्मृतियों के धागों ने मुझे बाँध लिया
निकली सफ़ेद रंग की क्रोशिए की शाल
और बिखर गयी यादों की गर्मी
और खेत में लहराते सरसों के फूलों सी
वो पीली दुशाला मन को गुदगुदा गयी
एक जानी-पहचानी महक थी संदूक की
वो गंध जो कीड़ों को संदूक में रहने नहीं देती
छोटी-छोटी सफ़ेद गोलियां
कोने में लुढ़की
कपड़ों में दुबकी
नानी के संदूक में
वो तस्वीरों का गुच्छा
जैसे फूलों का गुलदस्ता
जताता इस बात को कि
कभी मम्मी भी छोटी थीं
और नानी भी मम्मी थीं
सिल्क की साड़ियां
ज़री सजा लहँगा
अखबारों के बीच सहेजा-संभाला
शादी का जोड़ा
अपना ही संगीत बुनती
लंबी सफ़ेद सलाइयां
तांबे के शोर मचाते
कुछ नटखट बर्तन
चांदी की चम्मच
चांदी का झुनझुना
मात्रियोश्का डॉल का एक सेट
कोई टूटा खिलौना
और छठी के छोटे कपड़े
जब दिया जला के रात भर जागी होंगी नानी
एक मीठे कल की आस में
नानी का संदूक
यादों का पिटारा
खट्टे-मीठे पलों का बक्सा। ...
बीते कल का प्रतीक
प्राचीन और भारी
आज के हलके सूटकेस
का मज़बूत पूर्वज
स्टोररूम में सुसज्जित
या किसी की कॉफ़ी-टेबल का विकल्प
विमानों और समुद्री जहाज़ों में घूमा
स्मर्णिकाओं का धारक
कभी नोट्रेडम के देश में
कभी ब्रुसेल्स के ताँबे के बुत के रू-ब-रू
कभी पानी पर स्थित इटली के शहर वेनिस में
कभी रंगून के पवित्र पगोडा की भूमि पर
साम्यवादी नीतियों का साक्षी
कभी बिग बेन के घूंजते घंटों की आवाज़ सुनता जो शायद ये कहते हैं
कि समय ठहरता नहीं तो तुम क्यों रुके हो - चलते जाओ। ...
उसकी बात मान शायद
इतिहास के पन्नों से टहलता टहलता
आज आ गया इन शब्दों को अर्थपूर्ण करने -
मेरी कविता का प्रसंग....
मेरी कल्पना का प्रतिनिधि
नानी का संदूक। .....
इस कविता में जिन जगहों का उल्लेख मैंने किया है, नानी ने वहां पर कुछ वर्ष व्यतीत किये थे - यूरोप के विभिन्न देशों में रहने की वजह मेरे नानाजी का काम था। वो विदेशी विभाग में कार्यरत थे।
Linking to #WYHO - Write Your Heart Out The Artist's Way being hosted by Corinne at Everyday Gyaan. While it is not a free write exercise, I have tried to respond to the prompt - And we found _________ in a trunk in the attic…….
बहुत ही सुंदर आपका स्मृति चिन्ह सुनैना जी। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमेरी पोस्ट का लिंक :
http://rakeshkirachanay.blogspot.in/
Thanks Rakesh ji...
DeleteBahut badhiya likhi hai sanjoyi hui yaadon ki daastaan!
ReplyDeleteaabhaar....!
DeleteThis is so beautifully penned ❤ I feel the same when I open my mom's trunk. A whole lifetime of memories, happiness and adventure, all stored in one place. Bohot khoob likha hai.
ReplyDeleteSo happy that you could relate to it......!
Deleteनानी का संदूक
ReplyDeleteयादों का पिटारा
खट्टे-मीठे पलों का बक्सा।
यादो को बहुत ही अच्छी तरह पिरोया है आपने।
yaadon ka pitara.....shukriya jyoti ji....!
DeleteNot just the objects, even the smell and fragrance of the objects also convey past memories.
ReplyDeleteYes, smells are very strong carriers of memories...Thanks for the valuable observation....:)
Deleteएक ऐसा ही संदूक मैंने भी देखा था
ReplyDeleteनानी का नहीं, पर वो था मेरी माँ का
कुछ ऐसी ही स्मृतियाँ भरी थीं उसमे
कुछ महीन कशीदाकारी, कुछ अधूरे सपने
माँ ने जो अपने बचपन में बुने,
बनारसी साड़ियां और पुराने गहने
माँ का सपना, कि बेटियां पहने..........
It's difficult to stop Sunaina, but I have to! Like I always say I find an extension of me in your writing. You bring tears in my eyes.
Simply Superb!
मधुर स्मृतियों का बहुत ही सुन्दर शब्द चित्रण
ReplyDeleteवाह!!
सुन्दर शब्द चित्रण के साथ ...सुंदर रचना.... आपकी लेखनी कि यही ख़ास बात है कि आप कि रचना बाँध लेती है.....
ReplyDeletePadhkar maza aa gaya - Saari yaadein simatkar band ho gayi nani ke sandook mein. :D
ReplyDeleteHey bhagwan! Aisa nani ka sandook to kuber ke khazane se bhi keemti hai! Itna sundar, itna pyara.... Kabhi na khatm hone wali baaton aur yadon se ata hua!:) :). It has left me misty eyed.
ReplyDeleteपुरानी चिजे हमारे लिए यादो का ख़ज़ाना भी हो सकती हैं, और सृजन भी , बस हमारे अन्दर वो अहसास जिंदा हो , जो हमें उन से जोड़ सकें।
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in