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सब कहते हैं बड़ा मकान खरीद लो
कब तक किराया भरोगे
दो कमरे छोटे नहीं लगते क्या तुम्हे ?
बच्चों को भी जगह चाहिए। ...
नया घर होगा, नई खुशियां आएंगी
मैं सोच में पड़ जाती हूँ
ये दो कमरों का मकान
घर ही तो है
मानती हूँ दीवारें थोड़ी पुरानी हो गयी हैं
पर वो जो लकीरें तुम्हे चुभ रही हैं
वो मेरे बच्चों की पहली लिखाई हैं
वो पहली तस्वीरें, जो किताब में होतीं तो मैं संभाल भी लेती
हर जगह ले जाती
पर दीवारें नहीं उठा सकती
सोचती हूँ कुछ पल और जी लूँ उन्हें
धुंधली हो जाएंगी अपने आप जब
तब नया घर ले लूंगी।
तुम कहते हो जगह चाहिए
शायद देखा नहीं तुमने
साथ बैठे कितने अभिन्न हो जाते हैं हम यहां
साँसों का संगीत तक सुनाई देता है.....
थोड़ा रुको
जब कदम बढ़ेंगे महत्वाकांक्षाओं के साथ
अपनी जगह भी खुद बना लेंगे
तब तक जी लेने दो यह करीबी
हर किसी को नसीब नहीं होती
दो कमरों का मकान है
यादों से सजा
भावनाओं से भरा
थोड़ा बिखरा सही
थोड़ा मैला सही
पर खुशियां भी सजी यहीं हैं
आंसू भी थमे यहीं हैं
तुम्हारे लिए ईंट और पत्थर की तंग दीवारें हैं
पर मेरे लिए यही घर है
मेरे दो कमरों का मकान। ....
सुनैना, बिल्कुल सही कहा तुमने... घर घर होता है! चाहे वह दो कमरे का ही क्यो न हो... उसमें जो सकुन मिलता है वो किसी सौ कमरे के मकान से कम नहीं है। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteThanks Jyoti ji...:)
Deleteभवपूर्ण प्रस्तुति सुनैना जी.
ReplyDeleteThanks..
DeleteWhen it comes to home, size does NOT matter
ReplyDeleteTrue....
DeleteBehad khoobsurat!
ReplyDelete"पर वो जो लकीरें तुम्हे चुभ रही हैं
वो मेरे बच्चों की पहली लिखाई हैं
वो पहली तस्वीरें, जो किताब में होतीं तो मैं संभाल भी लेती.."
Dilkash! Mujhe apni betiyon ka bachpan yaad gaya..Thank you Sunaina:) Loved it:)
meri kavita saarthak ho gayi.....!
DeleteLovely, thoughtful post, Sunaina! Home is home and never depends on the size!
ReplyDeleteYes Esha....home is home....!
DeleteSunaina, when you reach my age, it should be all a matter of downsizing, but I don't see that happening around me. I think your lovely poem makes perfect sense.
ReplyDeleteI think my mind has already gone beyond my age.....I don't know what I will downsize....:P......Thanks for visiting....:)
DeleteThis is so beautiful. I can feel the emotions and I feel connected. It's the magic of Hindi and your pen. Loved it, Sunaina. <3
ReplyDeleteThanks Saru.....our thoughts did macth....!
DeleteI can relate to your emotions so deeply. So beautiful Sunaina! It's difficult to part with a home were memories are etched. I, myself have lived such moments when I had to shift in a new house. It was too difficult to leave that little place where my daughters' boundless childhood memories were imprinted everywhere.
ReplyDeleteLoved these heartwarming words to the core. :) <3
Thankfully, I haven't moved that much....But that would give way to a different poem then....why don't you pen down your thoughts in a poem too....
DeleteBohot khoob... Bohot sundar likha. Do kamre k ghar mei bhi banti hai yaadei... Sajti hai khushiya. Padhke ghar ki yaad aa gayi. :)
ReplyDeleteThanks Rajlakshmi....your comment made my day...:)
Deleteजहाँ खुशियाँ घर वही होता है ... नहीं तो ईंट गारे के पत्थर सर ढकते हैं बस ... भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeletesahi kaha aapne....
Deleteek kavita yaadon aur bhavnaon se bhari hui. It has been a long time since I have read anything in HIndi. Last time also, it was on your blog.
ReplyDeleteI attempt posts in Hindi because sometimes that is the best language to convey the emotions I have.....I am happy that you find them appealing...do visit again for other Hindi posts too Anamika....
DeleteThank you for visiting my blog .
ReplyDeleteघर और मकान दो जुदा बाते होती है . और आपने बहुत अच्छे से इसे बयां किया है .
शुक्रिया . आते रहिये मेरी कविता और कहानी के ब्लॉग पर !
Thanks Vijay....will keep visiting your blog again...
DeleteSo beautiful..and yes,the feelings are somewhat similar and they are bound to be so Sunaina,t jese feelings make a house, home!☺☺☺ Loved it to bits !👏👏
ReplyDeleteWow..beautiful Poem Sunanina. Didnt know you write in hindi too. :)
ReplyDeleteVery interesting blog post! Thanks.
ReplyDeleteBahut khub
ReplyDeletesach me dil ko chu liya.
आज मैं आपके ब्लॉग पर आया और ब्लोगिंग के माध्यम से आपको पढने का अवसर मिला
ReplyDeleteख़ुशी हुई.
अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
संजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.in
Lovely poem Sunaina. Love is what makes a house, a Home. Written in Hindi is what is making it special.
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