Tuesday, December 16, 2014

Sad Day in the history of Humanity - Demons slay innocent children today - Where is God?

Today again I wonder if there is God......even if there is a remote possibility of his existence, then why does he let all this happen.....There are only humans and human-demons.....and unfortunately, the human-demons are more powerful than the humans.....It is such a sad day today for the entire humanity.....let terror be gone.....Leaders of the world.....forget votes and vote-banks, forget heaven and hell, forget politics and posts, forget money and riches.....get up and unite.....unite against the beasts who are wrecking hell on peace-loving people....take action against those monsters who are busy brain-washing people in the name of religion and discrimination.....my heart goes out to those parents who have lost the light of their lives.....my heart grieves for those innocent children who went through this horror.....whose lives ended in such violent manner....they did not deserve this.....Stop the violence, leaders...Stop it now.....





                                 आज


कितने आंसू उमड़े आज,
कितने आँगन उजड़े आज,
जो तालीम का घर था कल तक 
वो मातम की तस्वीर है आज 

बच्चों के वापस आने का कल तक रस्ता  तकती थीं ,
उन आँखों में सूनापन है, गुम  आँखों मे  गम है आज 

नेता दुःख जतलाते हैं और ख़बरें खौफ दिखाती हैं ,
खाली  लफ्ज़ और खाली  वादे फिर से बोले जाते आज 

बेगैरत आतंकी हमला करके मौज मनाते हैं 
नेता दीमक की दीवार बनाकर जान छुड़ाते हैं 
हिंसा और हथियार ही जीवन का आधार बनी  हैं आज 
गांधी और मार्टिन लूथर को दुनिया भूल गयी है आज 

एक देश का नहीं यह मुद्दा  यह मसला हम  सब का है 
इक कोने मे  पड़ी सिसकती मानवता हमे पुकारे आज 

कब रुख बदलेगा दुनिया का कब ज़मीर सब जागेंगे 
किस्से बन जाएंगे वो खुद जो किस्से लिखते हैं आज 

जब कलिंग  का युद्ध हुआ था कितना कुछ तब खोया था 
जीत के भी जब जीत ना पाया तब अशोक भी रोया था 
तब पकड़ी थी राह नई  और नई दिशा पे चला था वो 
उस किस्से की सीख को समझो और उस सीख को थामो आज 

अब कुछ तेरा कल कुछ मेरा नफरत सब ले जाएगी 
सूना आँगन खाली  दामन बस वीराना लाएगी 
उठो जला दो उस नफरत को जो सीने मे  जलती है 
गर्म  खून की गर्मी से पत्थर दिल को पिघला दो आज 

ख़त्म करो ये बेरहमी, ये बेदर्दी और दुख का खेल 
ख़त्म करो ये  तेरा-मेरा, ये छीना-झपटी की रेल  
ख़त्म करो अब इस दहशत को कोई गुल और ना मुरझाए 
काले इतिहास की स्याही से अब नए इतिहास को रच दो आज



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